इन हाथों की लकीरों मे तेरी तस्वीर बाकी है
किताबों के इन पन्नो मे अधूरे अश्क़ बाकी है
तेरे चेहरे की प्यारी सी हँसी, हाथों से है मेरे
ना भूलू मै मेरे हाथो मे जो तेरी निशानी है
तेरे मेरे हिस्से की बस ये ही कहानी है
वो जब वक़्त के पहिए से ना कोई वास्ता रहता
वो जब फूलों पे भावरों की तरह मन बहता ही रहता
बन सूर्य दिल नभ पे तुम्हारे गीत लिखता था
आज फिर वही गीत हुमको गुनगुनानी है
तेरे मेरे हिस्से की बस ये ही कहानी है
शिखर पे मौत से लड़ते हुए ये याद फिर आई
मेरे महलो मे रहने वाली, कैसे सहे रुसवाई
मेरे सपनो के महलो मे वो टूटी बंद सी खिड़की
आँगन मे टूटा, बिखरा पड़ा वो मन
तेरे हाथों की ख़ुश्बू को लहू से मिटानी है
तेरे मेरे हिस्से की बस ये ही कहानी है
मनीष (सुहास) पांडे